THE SHIV CHALISA IN HINDI DIARIES

The shiv chalisa in hindi Diaries

The shiv chalisa in hindi Diaries

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वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देखि नाग मन मोहे॥

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। शारद नारद शीश नवावैं॥

ता पर होत है शम्भु सहाई ॥ ॠनियां जो कोई हो अधिकारी ।

बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥ कर त्रिशूल सोहत छवि भारी ।

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥

शिव चालीसा का पाठ पूर्ण भक्ति भाव से करें।

अर्थ: हे नीलकंठ आपकी पूजा करके ही भगवान श्री रामचंद्र लंका को जीत कर उसे विभीषण को सौंपने में कामयाब हुए। इतना ही नहीं जब श्री राम मां शक्ति की पूजा कर रहे थे और सेवा में कमल अर्पण कर रहे थे, तो आपके ईशारे पर ही देवी ने उनकी परीक्षा लेते हुए एक कमल को छुपा लिया। अपनी पूजा को पूरा करने के लिए राजीवनयन भगवान राम ने, कमल की जगह अपनी आंख से पूजा संपन्न करने की ठानी, तब आप प्रसन्न हुए और Shiv chaisa उन्हें इच्छित वर प्रदान किया।

वेद माहि महिमा तुम गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥

स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय shiv chalisa lyricsl हरहु अब संकट भारी॥

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अर्थ: माता मैनावंती की दुलारी अर्थात माता पार्वती जी आपके बांये अंग में हैं, उनकी छवि भी अलग से मन को हर्षित करती है, तात्पर्य है कि आपकी पत्नी के रुप में माता पार्वती भी पूजनीय हैं। आपके हाथों में त्रिशूल आपकी छवि को और भी आकर्षक बनाता है। आपने हमेशा शत्रुओं का नाश किया है।

देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥ तुरत षडानन आप पठायउ ।

पाठ पूरा हो जाने पर कलश का जल सारे घर में छिड़क दें।

येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥ लै त्रिशूल शत्रुन को मारो ।

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